अमेरिका ने कश्मीर पर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि वाशिंगटन कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का स्वागत करेगा लेकिन किसी भी तरह की बातचीत की रफ्तार क्या होगी उसकी गुंजाइश क्या होगी और बातचीत का आधार क्या होगा ये भारत और पाकिस्तान के बीच तय करने का मामला है।
पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिका ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि वाशिंगटन कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच "उत्पादक और शांतिपूर्ण वार्ता" का स्वागत करेगा, लेकिन किसी भी तरह की बातचीत की रफ्तार क्या होगी, उसकी गुंजाइश क्या होगी और बातचीत का आधार क्या होगा, ये भारत और पाकिस्तान के बीच तय करने का मामला है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को उनके दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ लेने पर बधाई देने पर एक सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही।
यानि, अमेरिका ने साफ शब्दों में कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच आने से इनकार कर दिया है, जो पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि वो लगातार इस कोशिश में लगा था, कि अमेरिका, कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाए, जबकि भारत किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को नकारता है।
मिलर ने कहा, हम, निश्चित रूप से, प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है और हम उनके बीच उत्पादक और शांतिपूर्ण संबंध देखना चाहते हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हम भारत और पाकिस्तान के बीच सार्थक और शांतिपूर्ण बातचीत का स्वागत करेंगे, लेकिन किसी भी बातचीत की गति, दायरा और चरित्र भारत और पाकिस्तान को तय करना है।
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई दी। वोट में धांधली के आरोपों से घिरे अनिर्णायक चुनाव के लगभग एक महीने बाद, शरीफ ने नकदी संकट से जूझ रहे देश की बागडोर दूसरी बार संभालते हुए सोमवार को शपथ ली।
जैसे ही शरीफ ने पदभार संभाला, पाकिस्तान के विशेषज्ञों ने कहा कि जटिल कश्मीर मुद्दे पर उनके बड़े मतभेदों के कारण उन्हें निकट भविष्य में पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में तत्काल सुधार नहीं दिख रहा है।
1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के बाद से दोनों परमाणु-सशस्त्र दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच प्रेम-घृणा का रिश्ता रहा है, जिसमें संघर्षों के बीच थोड़े समय के लिए जुड़ाव रहा है।
2019 में भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद संबंध टूट गए।